ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में भारी गिरावट: क्या है दिवालियेपन की सच्चाई

भारतीय शेयर बाजार में हाल के दिनों में ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है। कंपनी के शेयरों में एक ही दिन में लगभग 8% की गिरावट दर्ज की गई, जो पिछले 52 हफ्तों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई। इस गिरावट का मुख्य कारण ओला इलेक्ट्रिक से जुड़ी एक सहायक कंपनी के खिलाफ दिवालिया याचिका दायर करने की खबरें बताई जा रही हैं। यहां हम इस पूरे मामले की तह तक जाने की कोशिश करेंगे और समझेंगे कि क्या वाकई ओला इलेक्ट्रिक के सामने वित्तीय संकट है या यह महज अटकलों का खेल है।

क्या है पूरा मामला?

ओला इलेक्ट्रिक टेक्नोलॉजीज, जो ओला ग्रुप की सहायक कंपनी है और इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन बनाती है, के खिलाफ बेंगलुरु स्थित कंपनी रोज मेटा डिजिटल सर्विसेज ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) में दिवालिया याचिका दायर की है। रोज मेटा का आरोप है कि ओला इलेक्ट्रिक ने उनके द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का भुगतान नहीं किया है, जिसके चलते उन्हें 2 करोड़ रुपये से अधिक की रकम बकाया है। रोज मेटा ओला इलेक्ट्रिक के लिए हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट्स की सप्लाई, वाहनों का रजिस्ट्रेशन और अन्य लॉजिस्टिक्स सेवाएं प्रबंधित करती है।

NCLT में दायर याचिका में रोज मेटा ने ओला इलेक्ट्रिक को “दिवालिया” घोषित करने की मांग की है, क्योंकि कंपनी लगातार भुगतान में चूक कर रही है। यह मामला सेबी (SEBI) के नियमों के तहत लिस्टेड कंपनियों के लिए जारी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन भी बताया जा रहा है, क्योंकि ओला इलेक्ट्रिक ने इस वित्तीय समस्या को निवेशकों के सामने खुलासा नहीं किया।

ओला इलेक्ट्रिक की प्रतिक्रिया और वित्तीय हालात

ओला इलेक्ट्रिक ने इन आरोपों को “निराधार” बताते हुए कहा है कि वे रोज मेटा के साथ भुगतान को लेकर बातचीत कर रहे हैं और जल्द ही मामला सुलझा लेंगे। कंपनी के प्रवक्ता ने जोर देकर कहा कि उनकी वित्तीय स्थिति स्थिर है और दिवालियापन की अफवाहें निराधार हैं। हालांकि, निवेशकों का भरोसा डगमगाने के पीछे कुछ ठोस कारण भी हैं:

  1. लगातार घाटे में चल रही कंपनी: ओला इलेक्ट्रिक ने वित्तीय वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में 564 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया। यह लगातार घाटे की श्रृंखला है, जो कंपनी के रेवेन्यू मॉडल पर सवाल खड़े करती है।
  2. कर्मचारियों की छंटनी: हाल में ओला ने लागत कम करने के लिए 1,000 से अधिक कर्मचारियों को निकालने की योजना की घोषणा की, जिससे कंपनी की आंतरिक समस्याओं का संकेत मिलता है।
  3. उत्पादों को लेकर विवाद: पिछले कुछ महीनों में ओला के इलेक्ट्रिक स्कूटरों में आग लगने की कई घटनाएं सामने आईं, जिससे ब्रांड की छवि को झटका लगा और बिक्री प्रभावित हुई।

शेयर बाजार पर क्यों पड़ा असर?

ओला इलेक्ट्रिक के शेयरों में गिरावट सीधे तौर पर NCLT में दायर याचिका और कंपनी के वित्तीय स्वास्थ्य को लेकर उठे सवालों से जुड़ी है। कंपनी का शेयर मूल्य अपने आईपीओ के समय के मुकाबले 50% से अधिक गिर चुका है। अगस्त 2023 में 133 रुपये के शिखर के बाद से यह लगातार नीचे आ रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि निवेशकों का भरोसा टूटने का मुख्य कारण कंपनी की अस्थिर वित्तीय रिपोर्ट और प्रबंधन की पारदर्शिता में कमी है।

क्या वाकई ओला इलेक्ट्रिक दिवालिया होने की कगार पर है?

वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, दिवालिया याचिका का मतलब यह नहीं कि कंपनी तुरंत बंद हो जाएगी। NCLT प्रक्रिया में समय लगता है, और अक्सर ऐसे मामले बातचीत या समझौते से सुलझ जाते हैं। ओला इलेक्ट्रिक के पास अभी भी पर्याप्त संसाधन हैं, और उनका मैन्युफैक्चरिंग प्लांट देश के सबसे बड़े इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादन केंद्रों में से एक है। हालांकि, अगर कंपनी जल्दी अपने कर्ज और परिचालन लागत को नियंत्रित नहीं कर पाती, तो भविष्य में चुनौतियां बढ़ सकती हैं।

निवेशकों के लिए सलाह

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आम बात है, लेकिन ओला इलेक्ट्रिक के मामले में सतर्कता जरूरी है। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेशक कंपनी की अगली वित्तीय रिपोर्ट और NCLT प्रक्रिया के नतीजों का इंतजार करें। साथ ही, इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर में प्रतिस्पर्धा तेज होने के कारण ओला के दीर्घकालिक मॉडल पर भी नजर रखनी चाहिए।


ओला इलेक्ट्रिक की वर्तमान स्थिति उन चुनौतियों को उजागर करती है जो तेजी से बढ़ते स्टार्टअप इकोसिस्टम का हिस्सा हैं। हालांकि, कंपनी के पास अभी भी बाजार में वापसी का मौका है, बशर्ते वह अपने वित्तीय प्रबंधन और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार करे। निवेशकों को अफवाहों पर प्रतिक्रिया देने के बजाय तथ्यों और आधिकारिक बयानों पर ध्यान देना चाहिए। आने वाले समय में ओला का रुख साफ होगा, लेकिन फिलहाल सतर्कता ही समझदारी है।

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