उत्तर प्रदेश, जिसे कभी अपराध और अराजकता के लिए जाना जाता था, आज सुरक्षा और विकास की नई मिसाल बनकर उभर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य सरकार ने पिछले आठ वर्षों में न केवल कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ किया है, बल्कि अपराधियों के खिलाफ अभूतपूर्व कार्रवाई करते हुए प्रदेश को “बदलते उत्तर प्रदेश” की छवि दी है। आंकड़े इस बदलाव की गवाही देते हैं: डकैती, हत्या, बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में 85% तक की कमी, 142 अरब रुपये की अवैध संपत्ति की जब्ती, और माफिया तंत्र का सफाया। यह सफर निश्चित रूप से चुनौतियों भरा रहा, लेकिन परिणामों ने उत्तर प्रदेश की जनता को नई आशा दी है।
अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस: आंकड़े बोलते हैं
2017 में योगी सरकार के गठन के समय उत्तर प्रदेश की स्थिति चिंताजनक थी। डकैती, दिनदहाड़े लूट, और माफियाओं का आतंक आम बात थी। लेकिन, सरकार ने “ठोक देगी यूपी पुलिस” के नारे को सच साबित करते हुए अपराधियों के खिलाफ बिना किसी समझौते के अभियान शुरू किया। परिणामस्वरूप, 2016 की तुलना में 2023 तक डकैती के मामले 84.51% और लूट की घटनाएं 77.4% कम हुईं। इसी तरह, बलात्कार और अपहरण जैसे संवेदनशील मामलों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। यह बदलाव केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। गाँव-गाँव में आम नागरिक अब रात के अंधेरे में भी सुरक्षित महसूस करते हैं, जो पहले अकल्पनीय था।
माफिया राज का अंत: अवैध संपत्ति पर शिकंजा
यूपी में माफियाओं का साम्राज्य लंबे समय तक राजनीति और अपराध का गठजोड़ रहा। लेकिन, योगी सरकार ने इन ताकतों को बेनकाब करने और उनकी जड़ें उखाड़ने का बीड़ा उठाया। 142 अरब रुपये की अवैध संपत्ति जब्त करना इसी मुहिम की सबसे बड़ी उपलब्धि है। इसमें माफियाओं द्वारा हड़पी गई जमीनें, बेनामी भवन, और नकदी शामिल हैं। अतीक अहमद जैसे दबंगों के किले ढहाए गए, उनके सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया, और 68 माफिया गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई हुई। सरकार ने गैंगस्टर एक्ट और नार्कोटिक्स एक्ट जैसे कठोर कानूनों का इस्तेमाल करते हुए 752 अपराधियों को चिह्नित किया। यह रणनीति साफ दिखाती है कि “बुलडोजर राज” केवल नारा नहीं, बल्कि अवैधताओं के खिलाफ सख्त संदेश है।
तकनीक और ट्रेनिंग: पुलिस व्यवस्था का कायाकल्प
उत्तर प्रदेश पुलिस की कार्यशैली में आया बदलाव भी उल्लेखनीय है। पहले जहां पुलिस थानों तक सीमित थी, वहीं अब सीसीटीवी नेटवर्क, फोरेंसिक लैब, और मोबाइल एप्लिकेशन्स ने अपराध रोकथाम को तकनीक से जोड़ दिया है। 112 पुलिस सेवा की त्वरित प्रतिक्रिया ने आपात स्थितियों में लोगों का विश्वास बढ़ाया है। साथ ही, पुलिसकर्मियों को नियमित ट्रेनिंग और आधुनिक हथियारों से लैस किया गया, जिससे उनकी कार्यक्षमता बढ़ी। यही कारण है कि आज यूपी पुलिस न केवल अपराधियों को पकड़ने, बल्कि उन्हें सजा दिलाने में भी सक्षम है।
विकास और सुरक्षा का समीकरण
कानून-व्यवस्था में सुधार का सीधा प्रभाव राज्य के विकास पर पड़ा है। निवेशकों ने यूपी को सुरक्षित मानते हुए उद्योग स्थापित किए, पर्यटन बढ़ा, और रोजगार के अवसर पैदा हुए। साथ ही, सामाजिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए दंगों पर कड़ी कार्रवाई की गई। 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद के माहौल को देखते हुए यह बदलाव और भी महत्वपूर्ण है।
राजनीतिक रूप से क्यों मायने रखता है यह बदलाव?
2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत का आधार कानून-व्यवस्था रहा। योगी सरकार ने न केवल वादे पूरे किए, बल्कि जनता के विश्वास को नई दिशा दी। आज प्रदेश के 25 करोड़ नागरिकों की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है। यही कारण है कि यूपी के इस मॉडल को अन्य राज्यों में भी अपनाने की चर्चा हो रही है।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
हालांकि, कुछ विवादास्पद घटनाएँ, जैसे मेरठ का मुस्कान हत्याकांड या एनकाउंटर की आलोचना, यह याद दिलाती हैं कि सुरक्षा अभियान में मानवाधिकारों का ध्यान रखना भी जरूरी है। फिर भी, अधिकांश जनता मानती है कि “अपराधियों के साथ नरमी समाज के साथ अन्याय है।” भविष्य में यूपी को और अधिक सतर्कता, पारदर्शिता, और न्यायिक त्वरितता की आवश्यकता होगी।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने साबित किया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और सही नीतियों से किसी भी चुनौती पर विजय पाई जा सकती है। आठ वर्षों में प्रदेश न केवल “अपराध मुक्त” हुआ है, बल्कि “विकास के पथ” पर भी अग्रसर है। यह परिवर्तन केवल सरकारी दावा नहीं, बल्कि हर उस माँ की राहत है, जो अब बेटी को रात में घर लौटते हुए निडर होकर देखती है। उत्तर प्रदेश का यह सफर निश्चित रूप से भारत के अन्य राज्यों के लिए प्रेरणा है।