Site icon Newswaala

Will the government now sell army land: भारतीय रक्षा मंत्रालय की नई रणनीति

Will the government now sell army land

Will the government now sell army land

भारतीय रक्षा मंत्रालय के पास देश भर में फैली लगभग 17 लाख एकड़ भूमि है, जिसका एक बड़ा हिस्सा वर्षों से अप्रयुक्त या अवैध कब्जों में फंसा हुआ है। इन संसाधनों के उचित उपयोग और रक्षा बजट को सशक्त बनाने के लिए मंत्रालय ने एक नई योजना तैयार की है। इसके तहत अप्रयुक्त भूमि को आर्थिक लाभ में बदलकर सेना के आधुनिकीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश किया जाएगा। आइए, इस योजना के विभिन्न पहलुओं को समझते हैं।


अप्रयुक्त भूमि: चुनौतियां और अवसर

रक्षा मंत्रालय की भूमि मुख्यतः सैन्य ठिकानों, प्रशिक्षण केंद्रों, आवासीय परिसरों और रणनीतिक संरक्षित क्षेत्रों में फैली है। समय के साथ, शहरीकरण और तकनीकी बदलावों के कारण इनमें से कई भूखंडों का उपयोग घट गया है। उदाहरण के लिए:

इसके अलावा, शहरीकरण के कारण कई भूखंड अब रणनीतिक दृष्टि से अनुपयुक्त हो गए हैं, जैसे कि शहरों के बीच में स्थित पुराने प्रशिक्षण मैदान। ऐसी भूमि का रखरखाव महंगा है, और अवैध कब्जों को हटाने में भी संसाधन खर्च होते हैं।


मुद्रीकरण की रणनीति: कैसे कमाए जाएंगे पैसे?

रक्षा मंत्रालय ने इन भूखंडों के उपयोग के लिए कई विकल्प तैयार किए हैं:

1. लीज (पट्टा) पर भूमि का आवंटन

2. सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का विकास

3. पर्यावरण संरक्षण और वृक्षारोपण

4. शिक्षा और अनुसंधान केंद्र


कानूनी ढांचा और नीतिगत बदलाव

भूमि के मुद्रीकरण के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधन की आवश्यकता है। प्रमुख अधिनियमों में शामिल हैं:

– छावनी अधिनियम, 2006

यह कानून छावनी क्षेत्रों में भूमि के प्रबंधन, उपयोग, और कराधान को नियंत्रित करता है। धारा 346 के तहत रक्षा मंत्रालय को इन क्षेत्रों में नियम बनाने का अधिकार है।

– रक्षा संपदा नियम, 2021

इसके तहत छावनी भूमि को तीन श्रेणियों (A, B, C) में बांटा गया है, जिनके आधार पर लीज दरें और उपयोग के नियम तय होते हैं।

– सरकारी संपत्ति अधिनियम, 1984

अवैध कब्जों को हटाने और संपत्ति की सुरक्षा के लिए प्रावधान।

हाल ही में, रक्षा मंत्रालय ने भूमि हस्तांतरण नियमों में ढील देकर सरकारी एजेंसियों और PSUs को भूमि आवंटन की प्रक्रिया सरल बनाई है। हालांकि, निजी कंपनियों को भूमि देने के लिए अभी स्पष्ट दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है।


चुनौतियां और समाधान

  1. अवैध कब्जे की समस्या:
    • लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपए मूल्य की भूमि पर अवैध कब्जा है। इसे हटाने के लिए रक्षा संपदा अधिकारियों को अधिकार दिए गए हैं, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक दबावों के कारण प्रक्रिया धीमी है।
  2. पर्यावरणीय चिंताएं:
    • वनीकरण या औद्योगिक परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटित करते समय पर्यावरण मानकों का पालन जरूरी है।
  3. राजस्व आवंटन:
    • प्राप्त धन का 50% रक्षा आधुनिकीकरण में और 50% सरकारी कोष में जमा करने का प्रस्ताव है। इससे पारदर्शिता सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

भविष्य की राह: संभावनाएं और लाभ


रक्षा मंत्रालय की यह पहल न केवल अप्रयुक्त संसाधनों का सदुपयोग है, बल्कि रक्षा क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सार्थक कदम भी है। हालांकि, सफलता के लिए नीतियों का स्पष्ट क्रियान्वयन, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, और स्थानीय समुदायों के साथ समन्वय जरूरी है। यदि यह योजना सही ढंग से लागू होती है, तो यह भारत की रक्षा तैयारियों और आर्थिक विकास दोनों को गति देगी।

Exit mobile version