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पाकिस्तान क्यों है परेशानचीन की तर्ज पर बनने जा रही ग्रेट ग्रीन वॉल !

Why is Pakistan worried? Great Green Wall is going to be built on the lines of China

Why is Pakistan worried? Great Green Wall is going to be built on the lines of China

भारत ने हमेशा से प्रकृति और पर्यावरण के साथ सामंजस्य बनाकर चलने की परंपरा को अपनाया है। अब देश एक नए और महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के साथ दुनिया के सामने आया है, जिसे “ग्रेट ग्रीन वॉल” कहा जा रहा है। यह परियोजना न केवल भारत के पर्यावरणीय भविष्य को नई दिशा देगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी मददगार साबित हो सकती है। आइए, इसके हर पहलू को समझते हैं।

ग्रेट ग्रीन वॉल क्या है?

ग्रेट ग्रीन वॉल भारत की वह महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत गुजरात के पोरबंदर से लेकर दिल्ली के राजघाट तक 1,400 किलोमीटर लंबी एक “हरित दीवार” बनाई जाएगी। यह दीवार कोई पत्थर या ईंटों से नहीं, बल्कि पेड़ों, झाड़ियों, और वनस्पतियों से निर्मित होगी। इसका प्रतीकात्मक महत्व भी है—पोरबंदर महात्मा गांधी की जन्मस्थली है, जबकि राजघाट उनकी समाधि, इस प्रकार यह परियोजना गांधीजी के प्रकृति प्रेम को भी समर्पित है।

उद्देश्य: केवल हरियाली नहीं, बहुआयामी लक्ष्य

इस परियोजना का प्राथमिक लक्ष्य थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकना है, जो प्रतिवर्ष पूर्व की ओर बढ़ रहा है। साथ ही, यह निम्नलिखित समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करती है:

  1. मरुस्थलीकरण पर अंकुश: राजस्थान और गुजरात के सीमावर्ती बंजर क्षेत्रों को हरा-भरा बनाकर मिट्टी के कटाव को रोकना।
  2. प्रदूषण नियंत्रण: धूल और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्राकृतिक बैरियर का निर्माण।
  3. जल संरक्षण: भूजल स्तर में सुधार और वर्षा जल के संचयन को बढ़ावा।
  4. कार्बन सिंक: वृक्षारोपण के माध्यम से वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड का अवशोषण।
  5. जैव विविधता: वन्यजीवों के लिए आवासों का पुनर्निर्माण और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करना।

पाकिस्तान की चिंता: क्या है वजह?

इस परियोजना को लेकर पाकिस्तान की चिंता कई कारकों से जुड़ी है। सबसे पहले, भारत द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में हरित आवरण बढ़ाने से सीमा पार से घुसपैठ या निगरानी में आसानी हो सकती है। दूसरे, यह परियोजना पानी के संसाधनों के प्रबंधन से जुड़ी है। पाकिस्तान को आशंका है कि भारत द्वारा नहरों और जलाशयों का निर्माण होने से सिंधु जल समझौते पर असर पड़ सकता है। हालांकि, भारत का दावा है कि यह परियोजना पूरी तरह से पर्यावरणीय उद्देश्यों से प्रेरित है।

वैश्विक संदर्भ: अफ्रीका से प्रेरणा

भारत की ग्रेट ग्रीन वॉल, अफ्रीकन यूनियन की समान परियोजना से प्रेरित है, जो 2007 में शुरू हुई थी। अफ्रीका की यह दीवार 8,000 किमी लंबी है और 22 देशों से गुजरती है, जिसका लक्ष्य सहारा रेगिस्तान के विस्तार को रोकना है। भारत ने इस मॉडल को अपनी भौगोलिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढाला है। जहां अफ्रीका की परियोजना अब तक केवल 25% पूरी हुई है, वहीं भारत ने 2026-27 तक अपने लक्ष्य को पूरा करने का संकल्प लिया है।

चीन की महान दीवार से अलग कैसे?

चीन की महान दीवार एक सैन्य संरचना थी, जबकि भारत की ग्रेट ग्रीन वॉल प्रकृति और मानव सहयोग का उदाहरण है। चीन की दीवार ऐतिहासिक विरासत है, जो पर्यटकों को आकर्षित करती है, लेकिन भारत की हरित दीवार का उद्देश्य सीमाओं की रक्षा नहीं, बल्कि पारिस्थितिकी की रक्षा करना है।

चुनौतियाँ: रास्ते में क्या बाधाएँ?

  1. भूमि अधिकार: परियोजना वाले क्षेत्रों में निजी भूमि होने से समन्वय की कठिनाई।
  2. विभागीय समन्वय: कृषि, वन, और जल संसाधन विभागों के बीच सहयोग की आवश्यकता।
  3. धन की कमी: 7500 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट में राज्यों और केंद्र के बीच वित्तीय साझेदारी का प्रबंधन।
  4. जलवायु परिवर्तन: बढ़ते तापमान और अनिश्चित वर्षा पैटर्न से पेड़ों के जीवित रहने की दर प्रभावित होना।

कार्बन सिंक: जलवायु संकट का समाधान

ग्रेट ग्रीन वॉल प्राकृतिक कार्बन सिंक के रूप में कार्य करेगी। पेड़ वायुमंडल से CO₂ सोखकर ऑक्सीजन छोड़ते हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिंग की रफ्तार धीमी होगी। यह परियोजना भारत के 2070 तक कार्बन न्यूट्रल होने के लक्ष्य को भी साधने में मदद करेगी।

निष्कर्ष: एक हरित क्रांति की ओर

ग्रेट ग्रीन वॉल सिर्फ पेड़ लगाने की परियोजना नहीं, बल्कि सतत विकास और पर्यावरणीय न्याय का प्रतीक है। यह मानव और प्रकृति के बीच सदियों पुराने संबंधों को पुनर्जीवित करती है। हालाँकि चुनौतियाँ विशाल हैं, लेकिन इसके सफल होने से न केवल भारत बल्कि पूरा दक्षिण एशिया लाभान्वित होगा। जैसे-जैसे यह हरित दीवार फैलेगी, यह हमें याद दिलाएगी कि प्रकृति की रक्षा ही मानवता का सर्वोत्तम भविष्य है

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