अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति-निर्वाचित डोनाल्ड ट्रंप की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने शुक्रवार को होने वाली सजा की सुनवाई को स्थगित करने की अपील की थी। यह मामला ट्रंप के खिलाफ 2016 में वयस्क फिल्म स्टार स्टॉर्मी डैनियल्स को $130,000 की हश-मनी भुगतान की रिकॉर्ड को छिपाने के आरोप में चल रहा है।
ट्रंप ने सर्वोच्च न्यायालय से यह अपील की थी कि क्या उन्हें अपनी सजा की सुनवाई में स्वतः ही रोक का अधिकार है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 5-4 के वोट से उनकी याचिका को खारिज कर दिया। न्यायधीशों ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रंप की चिंताएं अपील के दौरान सुलझाई जा सकती हैं और सजा की सुनवाई में शामिल होने का बोझ “असंवेदनशील” है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर ट्रंप की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्रंप ने इसे “न्यायसंगत” बताया, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला “शर्मनाक” था। ट्रंप ने जज जुआन मर्चन पर भी निशाना साधा, जिन्हें उन्होंने मामले में न्याय नहीं करने वाला बताया।
“यह जज इस मामले में नहीं होना चाहिए था,” ट्रंप ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि “राजनीतिक विरोधियों” के साथ न्यायालय मजे ले सकता है।
क्या था हश-मनी मामला?
2016 में, ट्रंप पर आरोप था कि उन्होंने स्टॉर्मी डैनियल्स को $130,000 की हश-मनी दी थी ताकि वह 2016 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले उनके साथ संबंधों के बारे में सार्वजनिक न हो। ट्रंप ने इस भुगतान को कानूनी खर्च के रूप में दर्ज किया, जो बाद में झूठा साबित हुआ। इस मामले में ट्रंप को दोषी ठहराया गया था।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों महत्वपूर्ण था?
इस फैसले ने ट्रंप के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ क्योंकि वह सजा की सुनवाई को टालने के लिए अदालत में कई बार याचिका दायर कर चुके थे। हालांकि, न्यायधीशों ने उनकी याचिका खारिज कर दी, यह मानते हुए कि मामले को सुलझाने का अवसर अपील प्रक्रिया में उपलब्ध रहेगा।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ट्रंप के खिलाफ चल रही कानूनी लड़ाई को एक नए मोड़ पर पहुंचा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले, ट्रंप के वकील ने यह भी तर्क किया था कि राष्ट्रपति-निर्वाचित पर आपराधिक आरोपों से छूट होनी चाहिए, लेकिन अदालत ने इस दावे को अस्वीकार कर दिया।
न्यायिक अपील और कानूनी कदम
ट्रंप के वकील लगातार सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर कर रहे थे, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। इससे पहले, न्यूयॉर्क की निचली अदालतों ने भी ट्रंप की सजा स्थगित करने की याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति-निर्वाचित ट्रंप की कानूनी लड़ाई अब और भी जटिल हो गई है, क्योंकि उन्हें 10 जनवरी को सजा की सुनवाई का सामना करना पड़ेगा, जबकि वह फिर से राष्ट्रपति बनने के करीब हैं।
आगे क्या होगा?
अब यह देखना होगा कि क्या ट्रंप अपनी सजा को लेकर और कानूनी कदम उठाते हैं या फिर अदालत के फैसले का पालन करते हैं। उनका वकील दल भी लगातार सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहा था, लेकिन अब जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने हस्तक्षेप नहीं किया, ट्रंप को कानूनी रास्तों के और विकल्पों की तलाश करनी होगी।
इस मामले में आने वाली सुनवाई अमेरिकी राजनीति और ट्रंप के भविष्य के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। जैसे-जैसे यह मामला आगे बढ़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप की कानूनी स्थिति में कोई बड़ा बदलाव आता है या वह सजा की सुनवाई का सामना करते हैं।