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Sam Altman ChatGPT Founder Accepting that Indian can be a World Leader In AI: कभी कहा था भारत को AI के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए

Sam Altman ChatGPT Founder Accepting that Indian can be a World Leader In AI

Sam Altman ChatGPT Founder Accepting that Indian can be a World Leader In AI

2023 में सैम ऑल्टमैन ने भारत की एआई क्षमताओं पर संदेह जताया था, लेकिन 2025 में उनका रुख़ पूरी तरह बदल गया। भारत की यात्रा के दौरान उन्होंने स्वीकार किया कि भारत न केवल ओपनएआई का दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया है, बल्कि पिछले एक साल में यहां उपयोगकर्ताओं की संख्या तीन गुना बढ़ी है। उन्होंने भारत को एआई स्टैक (चिप्स, मॉडल, एप्लिकेशन) के हर स्तर पर अद्भुत प्रगति करते देखा और कहा, “भारत को एआई क्रांति के अगुआ देशों में शामिल होना चाहिए”। साथ ही, उन्होंने अपने पुराने बयान को “संदर्भ से बाहर” बताया और भारत के लिए छोटे, विशेषज्ञता वाले एआई मॉडल बनाने की संभावनाओं को रेखांकित किया।


भारत की एआई महत्वाकांक्षाएं: स्वदेशी मॉडल से लेकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा तक

  1. सस्ता और सुरक्षित स्वदेशी एआई मॉडल:
    भारत सरकार ने 6 महीने के भीतर अपना एआई मॉडल लॉन्च करने की घोषणा की है। यह मॉडल भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक संदर्भों के अनुकूल होगा और वैश्विक मॉडलों की तुलना में 90% सस्ता होगा। वर्तमान में, वैश्विक मॉडल प्रति घंटे $2.5-3 (≈₹210-250) चार्ज करते हैं, जबकि भारतीय मॉडल की कीमत ₹100 प्रति घंटे (सरकारी सब्सिडी के बाद) रखी गई है।
  2. कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार:
    भारत ने 10,000 GPUs के साथ एक अत्याधुनिक कंप्यूटिंग सुविधा शुरू की है, जिसे जल्द ही 8,693 अतिरिक्त GPUs से अपग्रेड किया जाएगा। यह सुविधा शोधकर्ताओं, स्टार्टअप्स और छात्रों को सस्ती दरों पर उपलब्ध होगी।
  3. चीन की डीपसीक से सीख:
    चीनी कंपनी डीपसीक ने $6 मिलियन से कम लागत में अपना एआई मॉडल आर1 विकसित किया है, जो चैटजीपीटी को पीछे छोड़ते हुए एप्पल के ऐप स्टोर पर टॉप पर पहुंच गया है। यह उदाहरण भारत के लिए प्रेरणादायक है, जो अपने IndiaAI मिशन के तहत ₹10,370 करोड़ से अधिक निवेश कर रहा है।

चुनौतियां और अवसर: भारत कैसे बनेगा वैश्विक एआई हब?


एआई में “मेक इन इंडिया” का नया अध्याय

सैम ऑल्टमैन के शब्दों में, “भारत ने प्रौद्योगिकी को अपनाया है और इसके आधार पर अविश्वसनीय चीजें बना रहा है”। चाहे वह सस्ते एआई मॉडल हों या विशाल कंप्यूटिंग संसाधन, भारत ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। चीन के डीपसीक और अमेरिका के स्टार्गेट प्रोजेक्ट के बीच, भारत का स्वदेशी एआई मॉडल न केवल वैश्विक प्रतिस्पर्धा में खड़ा होगा, बल्कि डिजिटल लोकतंत्रीकरण की नई मिसाल भी पेश करेगा।

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