Russian Duma Head in Indian Parliament: संसदीय सहयोग से सामरिक सौदों तक

भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक संबंधों को और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। रूस की डूमा (रूसी संसद) के अध्यक्ष व्याचेस्लाव वोलोदिन के भारत दौरे ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग के नए द्वार खोले हैं। इस यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें रक्षा सौदे, ऊर्जा सहयोग, और संसदीय मैत्री समूह की स्थापना शामिल है।

भारत-रूस संसदीय मैत्री समूह की पहल

रूस और भारत के संबंध केवल सरकारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि संसदीय स्तर पर भी गहरी भागीदारी देखी जा रही है। वोलोदिन की इस यात्रा के दौरान भारत और रूस के बीच “इंडिया-रशिया पार्लियामेंट्री ग्रुप” स्थापित करने की चर्चा हुई। इस पहल का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के विधायी निकायों के बीच बेहतर संवाद और सहयोग को बढ़ावा देना है।

यह समूह भारत और रूस के सांसदों को एक मंच प्रदान करेगा, जहां वे आपसी हितों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं। इससे न केवल कूटनीतिक रिश्ते मजबूत होंगे, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को भी गति मिलेगी।

रक्षा सौदों में बढ़ती दिलचस्पी

रूस, भारत को अपने अत्याधुनिक रक्षा उपकरण उपलब्ध कराने के प्रयास में लगातार सक्रिय रहा है। हाल ही में वोलोदिन की भारत यात्रा के दौरान Sukhoi Su-57 फाइटर जेट्स को लेकर बातचीत हुई। रूस चाहता है कि भारत अपने लड़ाकू विमान बेड़े में अमेरिकी F-35 के बजाय रूसी Su-57 को प्राथमिकता दे।

इसके अलावा, भारत और रूस के बीच संयुक्त रूप से रक्षा उत्पादन और तकनीक हस्तांतरण पर भी चर्चा की गई। इस रणनीतिक पहल से भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी, जबकि रूस को एक स्थायी साझेदार मिलेगा।

परमाणु ऊर्जा में सहयोग का नया अध्याय

भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं को देखते हुए रूस ने स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) के क्षेत्र में सहयोग का प्रस्ताव दिया है। रूस की सरकारी कंपनी Rosatom ने भारत को SMR टेक्नोलॉजी ट्रांसफर का प्रस्ताव दिया है, जिससे भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सकती है।

केंद्रीय बजट 2025 में भारत सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये की राशि SMR परियोजनाओं के लिए निर्धारित की है। भारत इस तकनीक का उपयोग कर 2030 तक स्वदेशी रूप से पांच SMRs विकसित करने की योजना बना रहा है। रूस के अलावा अमेरिका और फ्रांस ने भी इस क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग की इच्छा जताई है।

भारत-रूस व्यापार और निवेश सहयोग

रूस भारत के साथ अपने व्यापारिक संबंधों को और गहरा करने की दिशा में काम कर रहा है। रूस का मुख्य लक्ष्य है कि दोनों देशों के बीच व्यापार को अधिक विविध बनाया जाए, जिसमें तेल, गैस, रक्षा, और टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया जाए।

भारत और रूस के बीच हाल के वर्षों में व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। भारत रूस से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल खरीद रहा है, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को नया बल मिला है। वोलोदिन की यात्रा इस संदर्भ में भी महत्वपूर्ण रही, क्योंकि इसमें व्यापार को और विस्तार देने पर चर्चा हुई।

राजनीतिक समीकरण और वैश्विक दृष्टिकोण

भारत और रूस की इस बढ़ती नजदीकी का वैश्विक राजनीति पर भी प्रभाव पड़ सकता है। व्लादिमीर पुतिन की 2025 में भारत यात्रा प्रस्तावित है, जो दोनों देशों के संबंधों को और मजबूती दे सकती है।

रूस के लिए भारत एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है, खासकर ऐसे समय में जब पश्चिमी देशों के साथ रूस के संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं। दूसरी ओर, भारत अपने संतुलित विदेश नीति दृष्टिकोण को बनाए रखते हुए रूस और पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंधों को साधने की कोशिश कर रहा है।

भारत और रूस के संबंधों की यह नई दिशा दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है। संसदीय सहयोग से लेकर रक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी तक, इस यात्रा ने भारत-रूस संबंधों को एक नई गति दी है। आने वाले वर्षों में दोनों देशों के बीच यह सहयोग और अधिक मजबूत होने की संभावना है, जिससे वैश्विक राजनीति और व्यापार पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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