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हाल ही में अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन हुआ, जिसने अंतरराष्ट्रीय मीडिया का खूब ध्यान खींचा। यह आयोजन न केवल भव्य था बल्कि इसमें दुनिया भर से खास मेहमानों को बुलाया गया। हालांकि, इस समारोह में एक चौंकाने वाली घटना ने भारत के सुरक्षा और कूटनीतिक मोर्चे पर सवाल खड़े कर दिए।
इस समारोह में भारत के मोस्ट वांटेड खालिस्तानी समर्थक, गुरपतवंत सिंह पन्नू, की मौजूदगी ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को सोचने पर मजबूर कर दिया। रिपोर्ट्स के अनुसार, पन्नू ने टिकट खरीदकर इस समारोह में भाग लिया। पन्नू, जो खालिस्तान समर्थक समूह “सिख्स फॉर जस्टिस” का प्रमुख सदस्य है, लंबे समय से भारत विरोधी गतिविधियों में सक्रिय है।
समारोह में पन्नू की उपस्थिति को लेकर कई सवाल उठे। यह दावा किया गया था कि पन्नू को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। हालांकि, अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स, जैसे सीबीएस न्यूज, ने एक सूची जारी की जिसमें यह स्पष्ट किया गया कि पन्नू का नाम आमंत्रित मेहमानों में नहीं था। इससे यह स्पष्ट होता है कि उसने टिकट खरीदकर समारोह में भाग लिया।
समारोह में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की उपस्थिति के बावजूद, पन्नू का वहां होना भारत के लिए कूटनीतिक असफलता के रूप में देखा जा रहा है। यह एक बड़ा सुरक्षा ब्रीच भी माना जा रहा है, क्योंकि एक मोस्ट वांटेड अपराधी को इतने हाई-प्रोफाइल इवेंट में भाग लेने का अवसर कैसे मिला?
पन्नू ने समारोह में खालिस्तान समर्थक नारे लगाकर और झंडा दिखाकर एक बार फिर अपने एजेंडे को हवा दी। यह उसकी पुरानी रणनीति है, जहां वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ प्रचार करता है। पन्नू की इन हरकतों का उद्देश्य केवल सुर्खियां बटोरना और खालिस्तानी आंदोलन को जिंदा रखना है।
डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन से उम्मीद की जा रही थी कि वह खालिस्तानी समर्थकों पर सख्त रुख अपनाएगा। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में हरमीत ढिल्लन जैसे व्यक्तियों को अहम पदों पर नियुक्त किया है, जो भारत के खिलाफ अपने बयानों के लिए जाने जाते हैं। यह घटनाक्रम भारत-अमेरिका संबंधों में नई चुनौतियां पैदा कर सकता है।
यह घटना भारत और अमेरिका के बीच सुरक्षा सहयोग पर सवाल खड़े करती है। भारत को अब अपने कूटनीतिक और सुरक्षा तंत्र को और अधिक सशक्त बनाने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत के खिलाफ सक्रिय तत्वों पर निगरानी रखना और उनकी गतिविधियों को सीमित करना बेहद जरूरी है।
पन्नू की शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थिति भारत के लिए एक बड़ा कूटनीतिक और सुरक्षा संकट का प्रतीक है। इस घटना ने स्पष्ट किया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को अपने हितों की रक्षा के लिए और अधिक सतर्क और रणनीतिक होना पड़ेगा।