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OpenAI Facesing New Copyright Case:भारतीय प्रकाशकों की चिंता

OpenAI Facesing New Copyright Case

OpenAI Facesing New Copyright Case

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग ने जहां एक ओर दुनिया को नई तकनीकी ऊंचाइयों तक पहुंचाया है, वहीं दूसरी ओर इसके दुरुपयोग और कानूनी विवादों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में, भारतीय प्रकाशकों ने AI चैटबॉट्स द्वारा कॉपीराइट उल्लंघन के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई है।

कॉपीराइट उल्लंघन पर प्रकाशकों की चिंता:

पिछले कुछ महीनों में भारतीय प्रकाशकों की एक प्रमुख चिंता AI चैटबॉट्स, जैसे कि OpenAI का ChatGPT, द्वारा किताबों के अंशों और सामग्री का उपयोग करना है। प्रकाशकों का कहना है कि बिना अनुमति उनके साहित्यिक कार्यों का उपयोग ChatGPT जैसे टूल्स की ट्रेनिंग के लिए किया गया है। यह मुद्दा तब और गंभीर हो गया जब कई लेखकों और प्रकाशकों ने देखा कि ये टूल्स उनकी किताबों के सारांश और अंश तैयार कर रहे हैं।

भारतीय प्रकाशकों का मानना है कि जब AI द्वारा किताबों का सारांश या अंश मुफ्त में उपलब्ध कराया जाएगा, तो इससे उनके बिक्री पर सीधा असर पड़ेगा। एक प्रमुख प्रकाशक, गुप्ता, ने कहा, “जब यह मुफ्त टूल किताबों का सारांश और अंश प्रदान करेगा, तो लोग किताबें क्यों खरीदेंगे?” यह प्रकाशन उद्योग के लिए एक गंभीर आर्थिक खतरा बनता जा रहा है।

पेंगुइन रैंडम हाउस की पहल:

इस मुद्दे को ध्यान में रखते हुए, अंतरराष्ट्रीय प्रकाशन कंपनी पेंगुइन रैंडम हाउस ने नवंबर 2024 में एक वैश्विक पहल शुरू की। उन्होंने अपनी किताबों के कॉपीराइट पेज पर यह स्पष्ट करना शुरू किया कि उनकी सामग्री AI तकनीकों को ट्रेनिंग देने के लिए उपयोग नहीं की जा सकती। यह पहल एक बड़ा कदम है जो अन्य प्रकाशकों को भी अपने अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रेरित कर सकता है।

भारतीय फेडरेशन का कानूनी कदम:

भारतीय प्रकाशकों की चिंता को मजबूत करते हुए, फेडरेशन ऑफ इंडियन पब्लिशर्स (FIP) ने इस मामले को अदालत तक ले जाने का निर्णय लिया। दिसंबर 2024 में, फेडरेशन ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका में दावा किया गया कि OpenAI ने उनके सदस्यों की साहित्यिक कृतियों का उपयोग ChatGPT की ट्रेनिंग के लिए किया है। फेडरेशन के पास इस संबंध में “विश्वसनीय प्रमाण और जानकारी” है, जिसे उसने अदालत के सामने पेश किया।

अदालत की प्रक्रिया:

दिल्ली उच्च न्यायालय में यह मामला फिलहाल प्राथमिक स्तर पर है। 10 जनवरी, 2025 को कोर्ट रजिस्ट्रार ने OpenAI को इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने का निर्देश दिया। अब 28 जनवरी, 2025 को यह मामला अदालत में एक जज के सामने पेश होगा। इस मामले का निर्णय न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर AI और कॉपीराइट के मुद्दों पर प्रभाव डाल सकता है।

AI और कॉपीराइट: एक व्यापक बहस:

AI और कॉपीराइट के बीच यह विवाद एक व्यापक समस्या को दर्शाता है। AI चैटबॉट्स को प्रशिक्षित करने के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध डेटा का उपयोग किया जाता है। इसमें कई बार कॉपीराइटेड सामग्री भी शामिल होती है। यह न केवल साहित्यिक जगत बल्कि संगीत, फिल्मों और अन्य रचनात्मक उद्योगों पर भी प्रभाव डाल सकता है।

SEO फ्रेंडली लेख: क्यों यह मुद्दा महत्वपूर्ण है?

यह मुद्दा SEO (सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन) के लिए भी प्रासंगिक है। जब ChatGPT जैसे AI टूल्स सामग्री तैयार करते हैं, तो यह अक्सर उन लेखों और किताबों के लिए प्रतिस्पर्धा बन जाता है जो ऑनलाइन रैंकिंग के लिए SEO का उपयोग करते हैं। इससे छोटे और स्वतंत्र प्रकाशकों के लिए अपनी सामग्री को ऑनलाइन रैंक करवाना और भी मुश्किल हो सकता है।

समाधान की दिशा में कदम:

इस समस्या का समाधान तभी संभव है जब तकनीकी कंपनियां और प्रकाशन उद्योग मिलकर काम करें। AI मॉडल्स को ट्रेनिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले डेटा के स्रोत को पारदर्शी बनाना और कॉपीराइट उल्लंघन से बचने के लिए उचित कदम उठाना आवश्यक है। साथ ही, सरकारों को इस दिशा में सख्त कानून बनाने की जरूरत है ताकि रचनात्मक कार्यों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

AI तकनीकों का विकास और उपयोग हमारी दुनिया को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके साथ जुड़े नैतिक और कानूनी मुद्दों को अनदेखा नहीं किया जा सकता। भारतीय प्रकाशकों का यह कदम एक महत्वपूर्ण शुरुआत है, जो कॉपीराइट उल्लंघन के खिलाफ एक सशक्त संदेश देता है। इस मामले का परिणाम आने वाले समय में AI और रचनात्मक उद्योगों के बीच संबंधों को परिभाषित करने में मदद करेगा।

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