Physical Address

304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124

Meitei Group Lays Down Arms

Meitei Group Lays Down Arms: क्या लौटेगी शांति की उम्मीद?

मणिपुर में पिछले दो वर्षों से चल रहे जातीय हिंसा के बीच एक बड़ी घटना सामने आई है। 27 फरवरी 2024 को मैती समुदाय के सशस्त्र समूह आरम्बाई टेंगगोल ने 246 हथियार सरेंडर किए। यह मई 2023 से अब तक का सबसे बड़ा सरेंडर माना जा रहा है। इससे पहले, राज्यपाल अजय भल्ला ने 20 फरवरी को सभी गुटों से हथियार लौटाने की अपील की थी और 27 फरवरी को अंतिम तिथि तय की थी। इस पहल के पीछे मणिपुर में शांति स्थापित करने की कोशिश नज़र आती है।

हथियारों के सरेंडर का विवरण:

  • आरम्बाई टेंगगोल ने इंफाल पश्चिम में 246 हथियार जमा किए, जिनमें एके-47, एम-16 राइफल्स और ग्रेनेड लॉन्चर्स शामिल हैं।
  • अन्य जिलों से 61 हथियार सरेंडर हुए, जबकि इससे पहले 110 हथियार जमा किए जा चुके थे।
  • मई 2023 से अब तक कुल 6,000 से अधिक हथियार लूटे गए थे, जिनमें से केवल 1,200 ही बरामद हो सके हैं।

सरेंडर के पीछे की वार्ता:
आरम्बाई टेंगगोल के नेताओं ने राज्यपाल से 25 फरवरी को मुलाकात की और कई आश्वासन हासिल किए:

  1. अफीम की खेती पर रोक लगाने और सीमा पर फेंसिंग को मजबूत करने का वादा।
  2. 1951 के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को आधार बनाकर नागरिकता के मुद्दे को हल करना।
  3. समूह के सदस्यों को जनरल एमनेस्टी और राज्य में स्वतंत्र आवाजाही की अनुमति।

विरोधी गुटों की प्रतिक्रिया:
कुकी-ज़ो जनजाति से जुड़े संगठनों (आईटीएलएफ, सीओयू) ने इस सरेंडर को “राजनीतिक छल” बताया। उनका आरोप है कि आरम्बाई टेंगगोल ने 230 लोगों की हत्या, 7,000 घरों को जलाने और 40,000 लोगों को विस्थापित करने में भूमिका निभाई है। उन्होंने राज्यपाल की मुलाकात को “न्याय के साथ विश्वासघात” करार दिया।

शांति की राह में चुनौतियाँ:

  1. अविश्वास की खाई: मैती (जो मणिपुर की 53% आबादी हैं) और कुकी-ज़ो (40%) समुदायों के बीच ऐतिहासिक तनाव बना हुआ है।
  2. राजनीतिक शून्यता: फरवरी 2024 से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू है, क्योंकि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने इस्तीफा दे दिया था।
  3. शेष हथियार: अभी भी 4,800 से अधिक लूटे गए हथियार सक्रिय गुटों के पास मौजूद हैं, जो हिंसा को भड़का सकते हैं।

केंद्र सरकार की भूमिका:

  • दिसंबर 2023 में पूर्व गृह सचिव अजय भल्ला को राज्यपाल नियुक्त करना।
  • सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाना और हथियार जब्ती अभियान चलाना।
  • NRC लागू करने और नशा मुक्ति अभियान जैसे विकासात्मक कदम उठाना।

मोरे टाउन का महत्व:
मणिपुर का मोरे शहर म्यांमार सीमा के निकट स्थित है और यह अवैध हथियारों व ड्रग्स तस्करी के लिए प्रसिद्ध है। यहां से होकर गोल्डन ट्राएंगल (म्यांमार-लाओस-थाईलैंड) का नशीला पदार्थों का रास्ता गुजरता है, जिसे नियंत्रित करना मणिपुर की शांति के लिए अहम है।


यद्यपि यह सरेंडर एक सकारात्मक शुरुआत है, परंतु टिकाऊ शांति के लिए सभी हितधारकों के साथ संवाद ज़रूरी है। मणिपुर में 2027 के विधानसभा चुनाव तक राजनीतिक स्थिरता का अभाव चुनौती बना रहेगा। कुकी समुदाय की भागीदारी के बिना शांति प्रक्रिया अधूरी होगी। केंद्र और राज्य सरकार को न केवल हथियार जमा करने बल्कि आर्थिक पुनर्वास और सामाजिक एकीकरण पर भी ध्यान देना होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *