Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124
Physical Address
304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124
लंदन में भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ हुई एक घटना ने भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच राजनयिक तनाव को फिर से उजागर कर दिया है। इस घटना में खालिस्तानी समर्थकों ने डॉ. जयशंकर की गाड़ी के आसपास सुरक्षा घेरा तोड़कर भारतीय झंडे को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया। यह घटना न केवल यूके में भारतीय नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बल्कि इससे दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद राजनयिक मतभेदों को भी नई दिशा मिली है।
3 मार्च 2025 को डॉ. जयशंकर यूके की आधिकारिक यात्रा पर थे। लंदन के एक विशिष्ट “वीवीआईपी ज़ोन” में स्थित यूके सरकार के कार्यालय से बातचीत के बाद जैसे ही वे अपनी गाड़ी में बैठे, खालिस्तानी समर्थकों का एक समूह सड़क के किनारे से बैरिकेड्स को पार करते हुए उनकी गाड़ी के निकट पहुंच गया। वीडियो फुटेज में देखा जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों ने भारतीय झंडे को निशाना बनाया और गाड़ी के सामने अवरोध खड़ा कर दिया। हैरानी की बात यह रही कि यूके पुलिस ने तब तक कोई कार्रवाई नहीं की, जब तक कि प्रदर्शनकारी गाड़ी के एकदम सामने नहीं आ गए। इस दौरान सुरक्षा बलों की निष्क्रियता ने भारत की ओर से गंभीर आपत्ति जताई गई।
भारत ने इस घटना को “सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक” बताते हुए यूके सरकार से जवाबदेही मांगी है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह घटना “लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दुरुपयोग” का उदाहरण है और यूके को अपने राजनयिक दायित्वों का पालन करना चाहिए। भारत का मानना है कि यूके सरकार ने जानबूझकर या लापरवाही से खालिस्तानी समर्थकों को उकसाने वाली गतिविधियों को रोकने में कोई गंभीर प्रयास नहीं किया।
यह पहली बार नहीं है जब यूके में खालिस्तानी समूहों ने भारत विरोधी हिंसक कार्रवाई की है। 2023 में लंदन स्थित भारतीय उच्चायोग पर हमला हुआ था, जहां समर्थकों ने भारतीय ध्वज को उतारने का प्रयास किया और इमारत को नुकसान पहुंचाया। उस समय भी भारत ने यूके से सुरक्षा मानकों को लेकर चिंता जताई थी। हालांकि, यूके की ओर से ठोस कार्रवाई का अभाव इस समस्या को बार-बार हवा देता रहा है।
1961 के वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमेटिक रिलेशंस के तहत, मेज़बान देश का यह दायित्व है कि वह विदेशी मंत्रियों, राजदूतों और राजनयिकों को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करे। यह कन्वेंशन 193 देशों द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिसमें यूके और भारत दोनों शामिल हैं। हालांकि, UK की ओर से इस संधि का पालन करने में लापरवाही देखी गई है।
दिलचस्प बात यह है कि UK ने स्वयं भारत में अपने राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी। 2022 में, जब दिल्ली में यूके के उच्चायुक्त के आवास के पास एक सार्वजनिक शौचालय बनाने का प्रस्ताव था, तो UK ने इसे “सुरक्षा जोखिम” बताते हुए विरोध किया था। इसके विपरीत, लंदन में भारतीय मंत्री की सुरक्षा को नज़रअंदाज़ करना UK की दोहरी नीति को उजागर करता है।
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत और UK के बीच आर्थिक एवं राजनयिक संबंधों को मज़बूत करने की कोशिशें चल रही हैं। हालांकि, सुरक्षा मामलों में UK की लचर नीति इस प्रक्रिया में बाधक बन सकती है। भारत ने पहले ही कनाडा के साथ हुए विवाद में यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने नागरिकों और प्रतिनिधियों की सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
भारत अब वह देश नहीं रहा जो अपने प्रतिनिधियों के साथ होने वाली अनदेखी को नज़रअंदाज़ कर दे। डॉ. जयशंकर के साथ हुई यह घटना न केवल UK की सुरक्षा प्रणाली की कमज़ोरी को दर्शाती है, बल्कि यह भारत की बढ़ती वैश्विक हैसियत के प्रति UK के रवैए को भी प्रतिबिंबित करती है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में आपसी सम्मान और विश्वास ही टिकाऊ साझेदारी की नींव होते हैं। UK को चाहिए कि वह भारत की चिंताओं को गंभीरता से ले और ठोस कार्रवाई करके यह साबित करे कि वह अपने राजनयिक दायित्वों के प्रति प्रतिबद्ध है।
इस पूरे प्रकरण से सबक यह है कि लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति और कानून व्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखना मेज़बान देश की ज़िम्मेदारी है। भारत की ओर से स्पष्ट संदेश है: “सुरक्षा और सम्मान गंभीर मामले हैं, और इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।”