Hamas in Pakistan Occupied Kashmir: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकी, हमास की एंट्री से क्षेत्रीय सुरक्षा पर मंडराते खतरे

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में हाल ही में हुए घटनाक्रमों ने क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ने PoK में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है और स्थानीय आतंकी संगठनों के साथ मुलाक़ात कर रहा है। इस घटनाक्रम से भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता का माहौल बन गया है।

PoK, जिसे पाकिस्तान ने अवैध रूप से कब्जा किया हुआ है, लंबे समय से आतंकवादी गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) जैसे आतंकी संगठनों की मौजूदगी यहां कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब हमास जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन की भागीदारी से यह संकट और गहरा होता दिख रहा है। हालिया रिपोर्टों में यह स्पष्ट हुआ है कि PoK में आयोजित एक बड़े आतंकी सम्मेलन में हमास के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

पाकिस्तान की मिलीभगत:

इस तरह की गतिविधियों को लेकर पाकिस्तान की सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियां और प्रशासन यदि चाहतीं, तो इस तरह के आयोजन को रोक सकती थीं, लेकिन इसके बावजूद आतंकवादियों को खुली छूट देना यह दर्शाता है कि पाकिस्तान सरकार इन संगठनों का समर्थन कर रही है।

हमास की इस गतिविधि में ईरान की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। हमास को ईरान से लगातार फंडिंग और सैन्य सहायता मिलती रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान की सहमति के बिना हमास की कोई भी बड़ी गतिविधि संभव नहीं है।

भारत के लिए खतरा:

PoK में हमास की एंट्री भारत के लिए नई सुरक्षा चुनौती बन सकती है। यह भारत के लिए न केवल सैन्य दृष्टिकोण से बल्कि कूटनीतिक रूप से भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।

भारत को अब अपनी नीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। अब तक भारत ने गाजा और हमास के मामलों में संतुलित रुख अपनाया है, लेकिन PoK में हमास की गतिविधियों को देखते हुए, भारत को अपनी विदेश नीति में बदलाव करने की जरूरत पड़ सकती है। साथ ही, भारत को अपनी सुरक्षा नीति को और मजबूत करने की आवश्यकता होगी।

PoK में हमास की उपस्थिति केवल एक क्षेत्रीय मुद्दा नहीं, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के लिए एक गंभीर चेतावनी है। पाकिस्तान और ईरान जैसे देशों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन इस क्षेत्र में आतंकवाद को और बढ़ावा दे सकता है। भारत समेत अन्य देशों को इस मामले में सतर्क रहने और उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।

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