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Ghibli Art AI Trends and Controversies

घिबली आर्ट AI ट्रैंड और विवाद

दुनिया भर के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इन दिनों एक नया कलात्मक ट्रेंड छाया हुआ है – घिबली आर्ट। यह जापानी एनिमेशन की वह शैली है जो अपने मासूम, शांत और सपनों जैसे दृश्यों के लिए मशहूर है। लेकिन अब इसकी खूबसूरती को एआई टूल्स ने एक नए मोड़ पर पहुंचा दिया है। चैटजीपीटी के जीपीटी-4o मॉडल ने घिबली स्टाइल में तस्वीरें बनाकर इसे वैश्विक सनसनी बना दिया, जिसके बाद कलाकारों, टेक एक्सपर्ट्स और कानूनविदों के बीच बहस छिड़ गई है।

जापानी संस्कृति की कलात्मक अभिव्यक्ति

घिबली आर्ट की शुरुआत हयाओ मियाज़ाकी द्वारा स्थापित स्टूडियो घिबली से हुई। इसकी पहचान पेस्टल रंगों, प्रकृति के मनमोहक दृश्यों, और भावनात्मक गहराई वाले किरदारों से है। फिल्में जैसे ‘स्पिरिटेड अवे’ और ‘माई नेइबर टोटोरो’ ने दर्शकों को एक ऐसी दुनिया में ले जाया जहां सादगी और कल्पना का अद्भुत संगम है। पारंपरिक तरीके से, एक घिबली आर्टवर्क बनाने में हफ्तों से लेकर महीनों तक का समय लगता था, क्योंकि हर स्ट्रोक में कलाकार की भावनाएं और अनुभव समाहित होते हैं।

चैटजीपीटी का जादू

मार्च 2024 में ओपनएआई ने अपने जीपीटी-4o मॉडल में इमेज जनरेशन का फीचर जोड़ा। यूजर्स ने देखा कि “घिबली स्टाइल” जैसे साधारण कमांड्स से एआई सेकंड्स में ऐसी तस्वीरें बना रहा है जो मियाज़ाकी के हाथों से बने आर्टवर्क जैसी लगती हैं। नतीजा? एक दिन में ही #GhibliArt ट्रेंड करने लगा। लोगों ने अपनी प्रोफाइल पिक्चर्स, यादों के पल, यहां तक कि राजनीतिक नेताओं और सेलिब्रिटीज को भी घिबली स्टाइल में रीइमेजिन किया। चैटजीपीटी की यह क्षमता अन्य एआई टूल्स जैसे मेटा के एआई या एक्स के ग्रोक से कहीं आगे निकल गई, क्योंकि इसने घिबली की बारीकियों को बखूबी पकड़ा।

वायरल ट्रेंड के पीछे का उन्माद और टेक्नोलॉजी की चुनौतियां

इस ट्रेंड ने चैटजीपीटी के सर्वरों पर अभूतपूर्व दबाव डाला। ओपनएआई के सीईओ सैम अल्टमैन ने ट्वीट कर बताया कि यूजर्स के बीच “घिबली इमेज” बनाने की होड़ से उनके जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) ओवरहीट हो गए। सेवा को स्थिर रखने के लिए फ्री यूजर्स को दैनिक तीन इमेज जनरेशन तक सीमित करना पड़ा। हालांकि, यह प्रतिबंध भी यूजर्स के उत्साह को कम नहीं कर सका।

कॉपीराइट या क्रिएटिविटी?

घिबली आर्ट के एआईकृत संस्करण ने कानूनी और नैतिक सवाल खड़े कर दिए। अमेरिकी कॉपीराइट कानून के अनुसार, किसी आर्ट स्टाइल को कॉपीराइट नहीं किया जा सकता, केवल विशिष्ट किरदार या कहानियां सुरक्षित हैं। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि ओपनएआई ने अपने मॉडल को घिबली की मौजूदा कृतियों पर ट्रेन किया होगा, जो एक ग्रे एरिया है। इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी वकील इवन ब्राउन के मुताबिक, “अगर एआई ने सीधे घिबली के काम को कॉपी नहीं किया है, तो यह कानूनन गलत नहीं। लेकिन नैतिक रूप से, यह कलाकारों के श्रम और उनकी रचनात्मकता का सम्मान नहीं करता।”

“एआई जीवन का अपमान है”

घिबली के संस्थापक हयाओ मियाज़ाकी ने एआई जनित कला को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। 2016 के एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, “एआई जनित कलाएं जीवन का अपमान हैं। ये उन संघर्षों, खुशियों और दर्द को नहीं समझतीं, जो एक कलाकार अपने काम में उतारता है।” मियाज़ाकी का मानना है कि कला का सार मानवीय अनुभव है, जिसे मशीनें नकल तो कर सकती हैं, लेकिन उसकी गहराई को कभी नहीं पकड़ सकतीं।

एआई की पहुंच सृजन या विनाश?

एआई ने कला को लोकतांत्रिक बनाया है – अब कोई भी व्यक्ति बिना ड्राइंग स्किल्स के घिबली जैसी इमेज बना सकता है। लेकिन यही सुविधा पेशेवर कलाकारों के लिए खतरा बन गई है। कलाकार कार्ला ओर्टिज़ जैसे लोगों ने एआई डेवलपर्स पर कॉपीराइट उल्लंघन का आरोप लगाते हुए मुकदमे दायर किए हैं। उनका तर्क है कि एआई मॉडल्स मानव कलाकारों के सालों के श्रम को “चुरा” रहे हैं।

कला और प्रौद्योगिकी का सहअस्तित्व

घिबली आर्ट का एआईकरण एक बड़े सवाल की ओर इशारा करता है: क्या प्रौद्योगिकी कला की मूल भावना को बरकरार रख सकती है? एआई निस्संदेह क्रिएटिविटी को नए आयाम दे रहा है, लेकिन इसके लिए नैतिक मार्गदर्शन और कलाकारों के अधिकारों की सुरक्षा जरूरी है। जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी आगे बढ़ेगी, कला के संरक्षण और नवाचार के बीच संतुलन बनाना समाज की सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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