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Eight Workers Trapped in Telangana Tunnel Collapse: बचाव अभियान जारी

Eight Workers Trapped in Telangana Tunnel Collapse

Eight Workers Trapped in Telangana Tunnel Collapse

तेलंगाना के नागरकर्नूल जिले में निर्माणाधीन श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) की सुरंग के ढहने से आठ मजदूर फंस गए हैं। यह हादसा 14 किलोमीटर के चिह्न के पास हुआ, जहां सुरंग की छत अचानक गिर गई। इस घटना ने न केवल राज्य बल्कि पूरे देश का ध्यान खींचा है। पिछले पांच वर्षों से चल रहे इस महत्वाकांक्षी सिंचाई परियोजना में यह दुर्घटना एक गंभीर झटका है।

स्थान और परियोजना का महत्व

यह सुरंग कृष्णा नदी पर बने श्रीशैलम बांध के बाएं तट पर स्थित है, जो तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की सीमा पर है। 44 किलोमीटर लंबी यह सुरंग दुनिया की सबसे लंबी सिंचाई सुरंगों में से एक बनने वाली थी। इसका उद्देश्य नलगोंडा जिले तक पानी पहुंचाकर सूखाग्रस्त क्षेत्रों की सिंचाई सुनिश्चित करना था। परियोजना के दोनों छोर से टनल बोरिंग मशीन (TBM) के जरिए काम चल रहा था, जिसमें से एक तरफ 20 किमी और दूसरी ओर 14 किमी का कार्य पूरा हो चुका था।

हादसे का क्रम

घटना से कुछ दिन पहले ही निर्माण कार्य फिर से शुरू हुआ था, क्योंकि पहले यह कुछ समय के लिए रुका हुआ था। 14 किमी के निशान के पास सुरंग की छत में पानी का रिसाव शुरू हुआ, जिसे नियंत्रित करने के लिए बोरिंग मशीन लगाई गई। 30 जुलाई की सुबह मजदूरों ने सुरंग के अंदर अचानक भूगर्भीय हलचल और दरारों की आवाजें सुनीं। कुछ ही मिनटों में सुरंग का एक हिस्सा ढह गया, जिससे 50 मजदूरों में से 42 बाहर निकलने में सफल रहे, लेकिन आठ लोग मलबे में फंस गए। बाद में दूसरा ढहाव हुआ, जिसने 150 मीटर के दायरे को घेर लिया और बचाव कार्य को मुश्किल बना दिया।

बचाव अभियान की चुनौतियां

  1. पानी और कीचड़ का जमाव: सुरंग में पानी का स्तर 8 मीटर तक पहुंच गया है, जिसे निकालने के लिए 70 और 100 हॉर्सपावर के पंप लगाए गए हैं।
  2. संरचनात्मक अस्थिरता: ढहाव के बाद सुरंग की दीवारों और छत में दरारें आ गई हैं, जिससे नए ढहाव का खतरा बना हुआ है।
  3. दूरी और पहुंच: फंसे मजदूर सुरंग के अंदर लगभग 9 किमी दूर हैं, जहां तक पहुंचने के लिए कन्वेयर बेल्ट और ड्रोन का उपयोग किया जा रहा है।
  4. ऑक्सीजन की आपूर्ति: हालांकि वेंटिलेशन सिस्टम काम कर रहा है, लेकिन समय बीतने के साथ ऑक्सीजन का स्तर चिंता का विषय बन सकता है।

भारतीय सेना के इंजीनियर्स और एनडीआरएफ की टीमें मलबे को हटाने और मजदूरों तक रास्ता बनाने में जुटी हैं। सेना ने सिकंदराबाद से विशेष उपकरण और मेडिकल टीमें तैनात की हैं।

हादसे के संभावित कारण

राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने संपर्क कर राहत कार्यों की समीक्षा की है। केंद्र सरकार ने तकनीकी सहायता का आश्वासन दिया है। इस घटना ने बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि टनल निर्माण से पहले विस्तृत भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और रिस्क असेसमेंट अनिवार्य होने चाहिए।


यह घटना मानवीय संसाधनों और तकनीकी योजना के बीच समन्वय की कमी को उजागर करती है। जबकि बचाव दल संघर्ष कर रहे हैं, यह आशा की जाती है कि फंसे मजदूरों को जल्द सुरक्षित निकाल लिया जाएगा। भविष्य में ऐसी परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसे हादसों को रोका जा सके।

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