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2025 में टूटेंगे गर्मी के सारे रिकार्ड IMD ने दी हीटवेव की चेतावनी

All heat records will be broken in 2025, IMD warns of heatwave

All heat records will be broken in 2025, IMD warns of heatwave

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने वर्ष 2025 को अब तक के “सबसे गर्म वर्ष” के रूप में चिह्नित किया है। इस वर्ष न केवल तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की आशंका है, बल्कि हीटवेव (लू) के दिनों की संख्या भी पिछले वर्षों के मुकाबले दोगुनी हो सकती है। यह चेतावनी न केवल स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए चिंताजनक है, बल्कि इसके आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी गहरे होंगे। आइए, इस समस्या के विभिन्न पहलुओं को समझें।

हीटवेव क्या है और कैसे परिभाषित होती है?

हीटवेव या “लू” एक मौसमी घटना है, जिसमें किसी क्षेत्र का तापमान सामान्य से काफी अधिक हो जाता है और यह स्थिति लगातार कई दिनों तक बनी रहती है। आईएमडी ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों के लिए हीटवेव को अलग-अलग मानदंडों से परिभाषित किया है:

  1. मैदानी इलाके: यहाँ तापमान सामान्य से 4.5-6.4°C अधिक होने पर हीटवेव और 6.5°C या अधिक होने पर गंभीर हीटवेव मानी जाती है। साथ ही, अधिकतम तापमान 45°C से ऊपर जाने पर भी हीटवेव घोषित की जाती है 5।
  2. पहाड़ी क्षेत्र: यहाँ अधिकतम तापमान 30°C से अधिक होने पर हीटवेव की स्थिति मानी जाती है।
  3. तटीय क्षेत्र: तापमान सामान्य से 4.5°C अधिक होकर 40°C तक पहुँचने पर हीटवेव घोषित की जाती है।

2025 में क्यों बढ़ेगा खतरा?

आईएमडी के अनुसार, इस वर्ष हीटवेव के दिनों की संख्या 10-12 तक पहुँच सकती है, जो पिछले वर्षों के औसत (5-6 दिन) से दोगुनी है। विशेष रूप से उत्तर-पश्चिमी राज्य जैसे राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और पर्वतीय राज्य जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में इसका प्रभाव अधिक होगा 5। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भी अप्रैल से लू की संभावना व्यक्त की गई है।

स्वास्थ्य से लेकर अर्थव्यवस्था तक

हीटवेव के पीछे मुख्य कारण

  1. जलवायु परिवर्तन: ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में निरंतर वृद्धि।
  2. एल नीनो का प्रभाव: प्रशांत महासागर में गर्म जलधाराएँ मानसून को प्रभावित करती हैं, जिससे गर्मी बढ़ती है।
  3. शहरीकरण: हरित क्षेत्रों की कमी से “हीट आइलैंड” प्रभाव उत्पन्न होता है।

बचाव के उपाय और सरकारी तैयारियाँ

गर्मी का बढ़ता ग्राफ़

पिछले पाँच वर्षों में हीटवेव के दिनों में भारी वृद्धि हुई है। 2020 में 42 दिन, 2022 में 202 दिन और 2024 में यह संख्या 554 तक पहुँच गई। 2025 में यह आँकड़ा 1000 के पार जा सकता है, जो एक भयावह संकेत है।

सतर्कता ही समाधान

2025 की गर्मी न केवल एक रिकॉर्ड बनाने वाली है, बल्कि यह मानवजनित गतिविधियों और प्रकृति के बीच बिगड़ते संतुलन की ओर भी इशारा करती है। आईएमडी की चेतावनियों को गंभीरता से लेते हुए, व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर तैयारी करना आवश्यक है। गर्मी से निपटने के लिए जल संरक्षण, वृक्षारोपण और सतत विकास के उपायों को प्राथमिकता देनी होगी। याद रखें, प्रकृति के साथ तालमेल बिठाकर ही हम इस चुनौती से लड़ सकते हैं।

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