मानव शर्मा, 25 वर्षीय टीसीएस में कार्यरत प्रतिभाशाली इंजीनियर, जिसकी ज़िंदगी अचानक एक दुखद मोड़ पर आकर रुक गई। उत्तर प्रदेश के आगरा निवासी मानव को उनके परिवार और दोस्तों द्वारा एक संवेदनशील, मददगार और सामाजिक व्यक्ति बताया जाता था। जनवरी 2024 में निकिता शर्मा से हुई उनकी शादी शुरुआत में सामान्य लगी, लेकिन धीरे-धीरे यह रिश्ता उनके लिए मानसिक संघर्ष का कारण बन गया।
प्रेम से विवाद तक का सफर
शादी से पहले प्री-वेडिंग शूट की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिसमें मानव निकिता के माथे को चूम रहे थे। यह छवि उनके रिश्ते की मधुर शुरुआत का प्रतीक थी। लेकिन शादी के कुछ महीनों बाद ही मानव को निकिता के पिछले रिश्तों (एक्स्ट्रा-मैरिटल अफेयर्स) के बारे में पता चला। परिवार के अनुसार, निकिता के “मामा” से संबंधों की जानकारी मिलने के बाद मानव मानसिक रूप से टूटने लगे। उनकी बहन आकांक्षा शर्मा के मुताबिक, यह खुलासा मानव के लिए सदमे जैसा था, जिसके बाद उन्होंने शराब का सेवन बढ़ा दिया और आत्महत्या के विचार करने लगे।
तलाक की कोशिश और अंतिम घटनाक्रम
अप्रैल 2024 में मानव ने म्यूचुअल डिवोर्स के लिए आवेदन किया। दोनों पक्षों के बीच बातचीत हुई, लेकिन निकिता के परिवार ने इसे आसानी से स्वीकार नहीं किया। तनाव के चलते मानव ने एक वीडियो बनाया, जिसमें उन्होंने पुरुषों के अधिकारों की कमी पर चिंता जताई और कहा, “मर्दों के लिए कानून लाओ… शादी मत करो।” इसके कुछ घंटों बाद ही उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया।
निकिता शर्मा का पक्ष
निकिता ने मामले में अपना बचाव करते हुए दावा किया कि मानव की मानसिक स्थिति पहले से ही अस्थिर थी। उनके अनुसार:
- मानव को शराब की लत थी, जिसके बाद वे हिंसक हो जाते थे।
- वे पहले भी तीन बार आत्महत्या का प्रयास कर चुके थे, जिसमें एक बार निकिता ने उन्हें फंदे से उतारा था।
- तलाक की प्रक्रिया के दौरान मानव के परिवार ने उन पर दबाव बनाया, जबकि निकिता खुद को बेदखल महसूस कर रही थीं।
परिवारों का आरोप-प्रत्यारोप
मानव के परिवार का आरोप है कि निकिता के “अनैतिक संबंध” और उनके परिवार का रवैया ही इस त्रासदी का कारण बना। वहीं, निकिता के अनुसार, मानव के घरवालों ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया। दोनों पक्षों के बीच संवाद की कमी और अविश्वास ने स्थिति को बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई।
कानूनी पहलू और सामाजिक सवाल
भारतीय कानून में आत्महत्या के प्रयास (IPC Section 309) और मानसिक उत्पीड़न (DV Act) के प्रावधान हैं, लेकिन इस केस में दोनों पक्ष एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। मानव के वीडियो में उठाए गए “पुरुष अधिकारों” के मुद्दे ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। कई यूजर्स का मानना है कि पारिवारिक विवादों में पुरुषों के लिए कानूनी सुरक्षा का अभाव है, जबकि कुछ का तर्क है कि ऐसे मामलों में लिंग-आधारित पूर्वाग्रह अनुचित है।
मनोवैज्ञानिक पहलू
मनोचिकित्सक डॉ. राजेश्वरी सिंह के अनुसार, “इस केस में संचार की कमी और सहायता प्रणाली का अभाव प्रमुख कारण है। शादी के बाद अचानक खुलासे, शराब की लत और अकेलापन किसी भी व्यक्ति को निराशा की ओर धकेल सकते हैं। ऐसे में परिवार को पेशेवर मदद लेनी चाहिए थी।”
मानव शर्मा की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज की उन जटिलताओं को उजागर करती है, जहां रिश्तों में विश्वास और संवाद की कमी जानलेवा बन सकती है। इस केस से यह सबक मिलता है कि कानूनी प्रक्रियाओं के साथ-साथ मानवीय संवेदनशीलता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। जब तक हम एक-दूसरे की भावनाओं को समझने और सही मदद देने की संस्कृति विकसित नहीं करते, ऐसी घटनाएं रुकनी मुश्किल हैं।