दुनिया भर के समुद्र तटों पर कभी-कभी कुछ ऐसे रहस्यमय जीव दिखाई देते हैं, जो मानवीय कल्पनाओं और अंधविश्वासों को जन्म दे देते हैं। इन्हीं में से एक है “ओरफिश” (Oarfish), जिसे “डूम्सडे फिश” या “भूकंप मछली” के नाम से जाना जाता है। हाल ही में, मेक्सिको के प्लाया एल कोमल नामक समुद्र तट पर इस मछली का दिखना चर्चा का विषय बन गया है। मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर इसे आसन्न प्राकृतिक आपदा का संकेत माना जा रहा है। परंतु क्या वाकई यह मछली विपत्ति की सूचक है, या यह महज एक जैविक घटना है? आइए, तथ्यों और इतिहास के आईने में इस प्रश्न का उत्तर ढूंढें।
ओरफिश: समुद्र का रहस्यमय निवासी
ओरफिश एक गहरे समुद्र में रहने वाली मछली है, जो आमतौर पर 200 से 1000 मीटर की गहराई में पाई जाती है। इसका वैज्ञानिक नाम Regalecus glesne है, और यह दुनिया की सबसे लंबी हड्डीदार मछलियों में से एक मानी जाती है। इसकी लंबाई 11 मीटर तक हो सकती है, जबकि इसका शरीर पतला और चमकदार होता है। चूंकि यह मछली गहरे पानी में रहती है, इसलिए इसे जीवित देखना दुर्लभ है। अधिकांश मामलों में, यह मृत या मरती हुई अवस्था में ही समुद्र तटों पर पहुंचती है।
क्यों जुड़ा है अंधविश्वास?
जापानी संस्कृति में ओरफिश को “र्यूगू नो त्सुकाई” (समुद्र देवता का दूत) कहा जाता है। पुरानी मान्यताओं के अनुसार, यह मछली गहराई से सतह पर आकर मनुष्यों को आने वाली प्रलय की चेतावनी देती है। इस विश्वास की जड़ें ऐतिहासिक घटनाओं में हैं:
- 2011 का जापानी सूनामी: भूकंप और सूनामी से कुछ महीने पहले, जापान के तटों पर 10 से अधिक ओरफिश मृत पाई गईं। इसके बाद आए 9.0 तीव्रता के भूकंप और उससे उत्पन्न सूनामी ने 15,000 से अधिक लोगों की जान ले ली।
- 2020 की फिलीपींस घटना: कोविड-19 महामारी के दौरान, फिलीपींस में ओरफिश के दिखने को कुछ लोगों ने “प्रकृति के क्रोध” से जोड़ा।
इसी तरह, 1900 के दशक से अब तक, ओरफिश के दिखाई देने और प्राकृतिक आपदाओं के बीच संबंध की कई रिपोर्ट्स सामने आई हैं। परंतु क्या यह सही मायनों में वैज्ञानिक है?
विज्ञान की क्या कहती है आवाज़?
वैज्ञानिक समुदाय इस संबंध को “संयोग” या “पोस्ट हॉक फैलासी” (घटनाओं को गलत तरीके से जोड़ना) मानता है। उनके तर्क इस प्रकार हैं:
- भूकंप और समुद्री जीवों का व्यवहार: कुछ अध्ययन बताते हैं कि भूकंप से पहले पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल होती है, जिससे विद्युत चुंबकीय तरंगें निकलती हैं। संवेदनशील समुद्री जीव इन्हें महसूस कर सकते हैं और सतह की ओर भाग सकते हैं। हालांकि, ओरफिश जैसे जीवों पर इसका प्रभाव अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है।
- पर्यावरणीय कारक: समुद्र का प्रदूषण, तापमान में बदलाव, या अत्यधिक मछली पकड़ने के कारण ओरफिश जैसे गहरे समुद्र के जीव अपने आवास से विस्थापित हो सकते हैं। 2022 में कनाडाई शोधकर्ताओं ने एक पेपर में बताया कि प्रदूषण के कारण ओरफिश की संख्या में असामान्य उतार-चढ़ाव देखा गया है।
- सांख्यिकीय असंगति: दुनिया भर में हर साल सैकड़ों भूकंप आते हैं, लेकिन ओरफिश के दिखने की घटनाएं बहुत कम हैं। इसलिए, इन्हें “कारण-प्रभाव” से जोड़ना तर्कसंगत नहीं है।
मेक्सिको की हालिया घटना: क्या है सच्चाई?
5 जुलाई 2024 को मेक्सिको के एक मछुआरे ने प्लाया एल कोमल बीच पर 4 मीटर लंबी ओरफिश पाई। यह क्षेत्र “रिंग ऑफ फायर” (प्रशांत महासागर का वह इलाका जहां 90% भूकंप आते हैं) का हिस्सा है। मीडिया ने इसे “आसन्न तबाही” का संकेत बताया, जबकि स्थानीय लोगों में डर फैल गया।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया:
- मारिन बायोलॉजिस्ट डॉ. एलेना गोमेज का कहना है, “ओरफिश का तट पर आना उसकी मृत्यु का संकेत है, न कि प्रलय का। ये मछलियां अक्सर बीमार या कमजोर होने पर ही सतह पर आती हैं।”
- सीस्मोलॉजिस्ट डॉ. राजीव मेनन के अनुसार, “रिंग ऑफ फायर में भूकंप की संभावना हमेशा बनी रहती है। ऐसे में किसी एक जीव को दोष देना वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं है।”
मनोवैज्ञानिक पहलू: क्यों फैलती है अफवाहें?
मनुष्य का मस्तिष्क अनिश्चितता को सहन नहीं कर पाता। इसलिए, अज्ञात खतरों को समझने के लिए वह पैटर्न ढूंढने लगता है। “कन्फर्मेशन बायस” के चलते, लोग सिर्फ उन घटनाओं को याद रखते हैं जहां ओरफिश के दिखने के बाद कोई आपदा आई, जबकि ऐसी सैकड़ों घटनाएं होती हैं जहां मछली दिखी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
प्रकृति के रहस्यों को समझने की मानवीय इच्छा सदियों से अंधविश्वासों को जन्म देती आई है। ओरफिश का मामला भी इसी श्रेणी में आता है। हालांकि, यह ज़रूरी है कि हम वैज्ञानिक तथ्यों और तर्क को प्राथमिकता दें। भूकंप जैसी आपदाओं से बचाव का एकमात्र तरीका तकनीकी तैयारी (जैसे- भूकंपरोधी इमारतें, अर्ली वार्निंग सिस्टम) और जागरूकता है, न कि मिथकों पर निर्भर रहना।
साथ ही, समुद्री प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण करके हम न केवल ओरफिश जैसे दुर्लभ जीवों को बचा सकते हैं, बल्कि पृथ्वी के संतुलन को भी बनाए रख सकते हैं। आइए, प्रकृति के संकेतों को समझें, परंतु डर के स्थान पर ज्ञान और तैयारी को अपनाएं।