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शांतनु नायडू, जो दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा के करीबी सहयोगी और पूर्व प्रबंधक रह चुके हैं, ने टाटा मोटर्स में अपनी नई भूमिका की घोषणा की है। अब वे जनरल मैनेजर, हेड – स्ट्रेटेजिक इनिशिएटिव्स (General Manager, Head – Strategic Initiatives) के पद पर नियुक्त किए गए हैं। अपनी इस नई जिम्मेदारी की जानकारी उन्होंने लिंक्डइन पर साझा की और इसे अपने जीवन की “पूर्णता” का क्षण बताया।
शांतनु नायडू और रतन टाटा के बीच सिर्फ एक पेशेवर रिश्ता नहीं था, बल्कि यह एक गहरी मित्रता में बदल गया था। शांतनु ने 2018 में रतन टाटा के सहायक के रूप में काम करना शुरू किया था और जल्द ही उनकी छवि टाटा के “साये” की तरह उभरने लगी।
शांतनु, जो एक इंजीनियर और एमबीए ग्रेजुएट हैं, ने अपने करियर की शुरुआत एक डिजाइन इंजीनियर के रूप में की थी। उन्होंने 2014 में एक इनोवेटिव प्रोजेक्ट पर काम किया, जिसका मकसद सड़क पर बेघर कुत्तों को वाहनों की चपेट में आने से बचाना था। इस विचार ने रतन टाटा का ध्यान आकर्षित किया, जो स्वयं एक पशु प्रेमी थे। यही वह क्षण था, जब उनकी दोस्ती की नींव पड़ी।
रतन टाटा ने न केवल इस प्रोजेक्ट में निवेश किया, बल्कि बाद में शांतनु को अपना करीबी सहायक भी बना लिया। दोनों के बीच एक ऐसा रिश्ता बना, जिसमें मार्गदर्शन, विश्वास और गहरी दोस्ती थी।
अपनी नई भूमिका के बारे में बोलते हुए शांतनु नायडू ने भावनात्मक रूप से लिखा,
“मुझे याद है जब मेरे पिता टाटा मोटर्स के प्लांट से सफेद शर्ट और नेवी ब्लू पैंट में घर लौटते थे, और मैं खिड़की पर उनका इंतजार करता था। अब यह एक पूर्ण चक्र की तरह महसूस हो रहा है।”
यह बयान यह दर्शाता है कि टाटा मोटर्स से उनका रिश्ता केवल पेशेवर नहीं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी गहरा रहा है। उनके पिता इस कंपनी में काम कर चुके हैं, और अब उन्हें इस प्रतिष्ठित ऑटोमोबाइल कंपनी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर मिला है।
2021 में शांतनु नायडू ने गुडफेलोज (Goodfellows) नामक एक स्टार्टअप की स्थापना की, जिसका उद्देश्य अकेले रहने वाले बुजुर्गों को युवा साथियों (companions) से जोड़ना था। इस पहल को रतन टाटा का समर्थन प्राप्त था, लेकिन उनकी उदारता का एक उदाहरण यह भी था कि उन्होंने अपनी मृत्यु से पहले इस स्टार्टअप में अपनी हिस्सेदारी छोड़ दी और शांतनु के शिक्षा ऋण (education loan) को भी माफ कर दिया।
9 अक्टूबर 2024 को जब रतन टाटा का 86 वर्ष की उम्र में निधन हुआ, तो शांतनु नायडू ने एक भावनात्मक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा,
“इस दोस्ती ने जो खालीपन मेरे जीवन में छोड़ा है, उसे भरने में मैं पूरी जिंदगी लगा दूंगा। प्यार के लिए दुख सहना ही कीमत है। अलविदा, मेरे प्रिय लाइटहाउस।”
यह शब्द उनकी गहरी भावनाओं को दर्शाते हैं और यह साबित करते हैं कि रतन टाटा के साथ उनका संबंध एक गुरु-शिष्य के रिश्ते से कहीं अधिक था।
शांतनु नायडू की टाटा मोटर्स में जनरल मैनेजर – स्ट्रेटेजिक इनिशिएटिव्स के रूप में नियुक्ति केवल एक करियर माइलस्टोन नहीं, बल्कि उनके जीवन के पूरे चक्र को पूरा करने जैसा है। उनकी सफलता रतन टाटा के मार्गदर्शन और उनकी खुद की मेहनत का परिणाम है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि वे अपनी नई भूमिका में क्या महत्वपूर्ण बदलाव लाते हैं और टाटा मोटर्स के विकास में कैसे योगदान देते हैं।