U.K. to Become First Country to Criminalize AI: एक नई क्रांति या ज़रूरत?

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने दुनियाभर में एक क्रांति ला दी है। इसका उपयोग हर क्षेत्र में हो रहा है, लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी सामने आने लगे हैं। खासकर डीपफेक तकनीक और एआई-जनित अश्लील सामग्री के बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। इसी को देखते हुए यूनाइटेड किंगडम (यूके) ने एआई के माध्यम से बाल यौन शोषण सामग्री बनाने और वितरित करने को अपराध घोषित कर दिया है। यह कदम एआई रेगुलेशन के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान करता है।

यूके का सख्त रुख: एआई पर अपराध कानून लागू

यूके ने हाल ही में नए कानून लागू किए हैं जिनके तहत ऐसे एआई टूल्स, जो अश्लील और बाल यौन शोषण सामग्री बनाने में सहायक हैं, को प्रतिबंधित किया जाएगा। ब्रिटेन की आंतरिक मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ने घोषणा की कि सरकार उन ऐप्स और उपकरणों को पूरी तरह अवैध घोषित कर रही है जो बच्चों की आपत्तिजनक छवियां और वीडियो बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।

इसके तहत यदि कोई व्यक्ति:

  • ऐसे टूल्स का उपयोग करता है,
  • इन्हें डाउनलोड करता है,
  • या इनके वितरण में शामिल होता है, तो उसे सजा दी जाएगी, जिसमें 5 साल तक की जेल भी हो सकती है।

एआई से उत्पन्न खतरों की बढ़ती चिंताएं

  1. डीपफेक टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग: कई बार एआई का उपयोग करके फर्जी वीडियो बनाए जाते हैं जो देखने में बिल्कुल असली लगते हैं। हाल ही में कई मशहूर हस्तियों और आम नागरिकों के डीपफेक वीडियो सामने आए, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान हुआ।
  2. ब्लैकमेल और साइबर अपराध: एआई का उपयोग करके बनाई गई नकली तस्वीरों और वीडियो का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए किया जा सकता है।
  3. बाल यौन शोषण सामग्री का प्रसार: इंटरनेट वॉच फाउंडेशन की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में एआई-जनित बाल शोषण सामग्री की रिपोर्टिंग में पांच गुना वृद्धि हुई है।
  4. डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: कई एआई टूल्स यूजर्स की सहमति के बिना उनकी निजी तस्वीरों और डेटा का उपयोग कर सकते हैं।

अन्य देशों की प्रतिक्रिया और भारत को क्या करना चाहिए?

यूके ने यह कदम उठाकर एआई से जुड़े अपराधों के खिलाफ एक मिसाल कायम की है। हालांकि, अमेरिका, कनाडा और अन्य देश अब तक इस तरह का कोई सख्त कानून नहीं लेकर आए हैं। भारत को भी इस मामले में सतर्क रहने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि वह:

  • एआई रेगुलेशन पर सख्त कानून बनाए,
  • डीपफेक और अन्य साइबर अपराधों पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए,
  • साइबर सुरक्षा को मजबूत करे,
  • और जनता को एआई के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करे।

यूके का यह फैसला दर्शाता है कि वह भविष्य की तकनीक को लेकर सतर्क है और अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है। यह कदम अन्य देशों को भी प्रेरित करेगा कि वे एआई के दुरुपयोग को रोकने के लिए कठोर नियम बनाएं। भारत सहित सभी देशों को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए ताकि डिजिटल दुनिया को सुरक्षित बनाया जा सके।

Leave a Comment