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भारत अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की है कि भारत का अपना जेनरेटिव एआई मॉडल अगले 8 से 10 महीने में तैयार हो जाएगा। यह मॉडल ओपनएआई के चैटजीपीटी और चीन के डीपसी जैसे ग्लोबल एआई प्लेटफॉर्म्स को टक्कर देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
भारत सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 10 कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया है, जिनमें जिओ प्लेटफॉर्म, टाटा कम्युनिकेशंस, और ओरियन टेक्नोलॉजीज जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इन कंपनियों ने भारत को 18,000 से अधिक जीपीयू (ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट) चिप्स ऑफर किए हैं, जो एआई मॉडल को ट्रेन करने के लिए जरूरी हैं। सरकार ने इन चिप्स पर 40% तक की सब्सिडी देने का भी ऐलान किया है, ताकि डेवलपर्स को सस्ते दरों पर यह संसाधन उपलब्ध हो सकें।
इस प्रोजेक्ट को इंडिया एआई मिशन के तहत आगे बढ़ाया जा रहा है, जिसे पिछले साल मार्च में मंजूरी दी गई थी। इस मिशन के लिए 5 साल में 10,372 करोड़ रुपए खर्च करने का लक्ष्य रखा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत में फाउंडेशन एआई मॉडल्स और एप्लीकेशन-ओरिएंटेड मॉडल्स विकसित करना है।
भारत का एआई मॉडल न केवल ग्लोबल स्तर पर प्रतिस्पर्धी होगा, बल्कि यह दुनिया का सबसे सस्ता एआई प्लेटफॉर्म भी होगा। वर्तमान में, वैश्विक स्तर पर एआई के इस्तेमाल की औसत लागत $3 प्रति जीबी/घंटा है, लेकिन भारत के मॉडल में यह लागत महज ₹1 प्रति जीबी/घंटा होगी। सरकार की 40% सब्सिडी के बाद यह लागत और भी कम हो जाएगी।
भारत का एआई मॉडल केवल चैटबॉट्स तक सीमित नहीं होगा। इसका उपयोग मौसम की भविष्यवाणी, आपदा प्रबंधन, रेलवे प्लानिंग, और बड़े आयोजनों जैसे कुंभ मेले की प्लानिंग में भी किया जाएगा। इसके अलावा, डीपफेक जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए 8 नए प्रोजेक्ट्स भी लॉन्च किए गए हैं, जो डीपफेक को पहचानने और रोकने में मदद करेंगे।
एआई मॉडल के साथ-साथ डेटा सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। सरकार ने घोषणा की है कि भारत का एआई मॉडल भारतीय सर्वर पर ही होस्ट किया जाएगा, ताकि डेटा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इससे डेटा लीक या गलत इस्तेमाल की चिंता कम होगी।
सरकार ने इस प्रोजेक्ट को अगले 6 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए आईआईटी दिल्ली, आईआईटी जोधपुर, और एनआईटी जैसे प्रमुख संस्थानों के साथ मिलकर काम किया जा रहा है।
भारत का यह एआई मॉडल न केवल तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि होगा, बल्कि यह देश को ग्लोबल एआई रेस में अग्रणी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। सस्ता, सुरक्षित और प्रभावी होने के कारण यह मॉडल न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।