मकर संक्रांति से जुड़े दस रोचक तथ्य

मकर संक्रांति के दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है, जिससे दिन लंबे और रातें छोटी होने लगती हैं। इसे सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति भारत के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों से मनाई जाती है। तमिलनाडु में इसे पोंगल और पंजाब में लोहड़ी के रूप में मनाते हैं।

मकर संक्रांति पर गंगा, यमुना, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है।

इस दिन तिल और गुड़ से बनी मिठाइयों का सेवन और वितरण किया जाता है। इसे सामाजिक समरसता और मिठास का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति के दिन गुजरात और राजस्थान में पतंगबाजी एक खास परंपरा है। इसे आनंद और उत्साह का प्रतीक माना जाता है।

यह पर्व रबी की फसलों की कटाई के उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। किसान इसे अपनी मेहनत और प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर मानते हैं।

इसे भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे तमिलनाडु में पोंगल, असम में भोगाली बिहू, महाराष्ट्र में मकर संक्रांति, और उत्तर प्रदेश में खिचड़ी पर्व।

उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी बनाने और खाने का रिवाज है। इसे सादगी और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

उत्तर भारत में इस दिन खिचड़ी बनाने और खाने का रिवाज है। इसे सादगी और समर्पण का प्रतीक माना जाता है।

तमिलनाडु में पोंगल के दौरान मट्टू पोंगल मनाया जाता है, जिसमें गाय और बैलों को सजाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

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