Physical Address

304 North Cardinal St.
Dorchester Center, MA 02124

जॉर्ज सोरोस, USAID, और भारत-बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का सडयंत्र

जॉर्ज सोरोस, USAID, और भारत-बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता का सडयंत्र

हाल ही में अमेरिकी एजेंसी USAID और हंगेरियन-अमेरिकी बिलियनेयर जॉर्ज सोरोस को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। ट्रंप प्रशासन और भारतीय राजनीतिक हलकों ने इन पर विदेशी सहायता का दुरुपयोग कर भारत, बांग्लादेश समेत कई देशों में सरकारों को अस्थिर करने का आरोप लगाया है। यहां इस मुद्दे के प्रमुख पहलुओं को विस्तार से समझते हैं:


1. ट्रंप के आरोप: USAID फंडिंग और सोरोस की भूमिका

  • डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर दावा किया कि जॉर्ज सोरोस के संगठनों ने USAID से $260 मिलियन (लगभग 2,100 करोड़ रुपए) प्राप्त किए, जिसका उपयोग श्रीलंका, बांग्लादेश, यूक्रेन, भारत आदि देशों में अराजकता फैलाने और सरकारें बदलने के लिए किया गया ।
  • ट्रंप प्रशासन ने USAID के बजट को फ्रीज कर दिया है, जिसके पीछे “विदेशी सहायता का राजनीतिक दुरुपयोग” बताया गया ।
  • सोरोस से जुड़े ईस्ट-वेस्ट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट को पिछले 15 वर्षों में USAID से $270 मिलियन से अधिक की फंडिंग मिली, जिससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति में अमेरिकी हस्तक्षेप पर सवाल उठे ।

2. भारत में राजनीतिक प्रतिक्रिया

  • भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लंबे समय से सोरोस पर विपक्षी समूहों को फंडिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों को समर्थन देने का आरोप लगाया है ।
  • भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा में USAID पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इस एजेंसी ने भारत को “विभाजित” करने के लिए 5,000 करोड़ रुपए सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन को दिए। उन्होंने इसकी जांच की मांग की ।
  • आरोपों के अनुसार, USAID ने भारत में नक्सलवादी गतिविधियों, जातिगत जनगणना के विरोध, और Agniveer योजना के खिलाफ प्रदर्शनों को फंड किया ।

3. बांग्लादेश का केस: सैन्य बेस और सरकार पर दबाव

  • बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने संकेत दिया था कि USAID और सोरोस के समर्थन से उनकी सरकार को गिराने की कोशिश की गई। उन पर अमेरिकी सैन्य बेस बनाने का दबाव डाला गया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया ।
  • अमेरिकी पत्रकार टकर कार्लसन के अनुसार, अमेरिकी अधिकारी खुलेआम स्वीकार करते हैं कि बांग्लादेश में राजनीतिक हस्तक्षेप का उद्देश्य अमेरिकी हितों को बढ़ावा देना था ।

4. USAID पर ट्रंप-मस्क की कार्रवाई

  • ट्रंप प्रशासन ने USAID को “एक आपराधिक संगठन” बताते हुए इसके बजट को रोक दिया और इसे राज्य विभाग में विलय करने का प्रस्ताव रखा ।
  • एलन मस्क ने USAID को “वोक एजेंडा” और “सरकार-विरोधी परियोजनाओं” का समर्थक बताया। उन्होंने ट्रंप के साथ मिलकर इस एजेंसी के ऑपरेशनल ढांचे को ध्वस्त करने में भूमिका निभाई ।

5. अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं और भविष्य

  • USAID के समर्थकों का तर्क है कि यह एजेंसी मानवीय सहायता, लोकतंत्र को मजबूत करने, और चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभाती है ।
  • हालांकि, ट्रंप और मस्क की नीतियों से USAID के सहायता कार्यक्रम (जैसे HIV/AIDS रोधी दवाओं का वितरण) प्रभावित हुए हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ी है ।

USAID, जिसे 1961 में जॉन एफ. केनेडी ने विकास सहायता के लिए बनाया था, आज एक राजनीतिक हथियार बनने के आरोपों से घिरी है। भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में इसकी भूमिका पर सवाल उठाने वालों का मानना है कि USAID सॉफ्ट पावर के बजाय राजनीतिक हस्तक्षेप का माध्यम बन गई है। ट्रंप-मस्क की नीतियों ने इस बहस को नया आयाम दिया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि अंतरराष्ट्रीय सहायता और राष्ट्रीय संप्रभुता के बीच संतुलन बनाना भविष्य की बड़ी चुनौती होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *